शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस दिन खरीददारी का पहला शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 50 मिनट से लेकर सुबह 10.00 बजे तक रहेगा. वहीं, दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 02.00 बजे से दोपहर 03 बजकर 30 मिनट तक रहेगा जबकि तीसरा शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 36 मिनट से रात 08 बजकर 32 बजे तक होगा.
क्या है धनतेरस का त्योहार ?
धनतेरस का त्योहार हिंदू धर्म में दीपावली महोत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। इसे कार्तिक माह की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को धन और समृद्धि के देवता भगवान कुबेर और स्वास्थ्य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा के लिए विशेष माना गया है।
धनतेरस का महत्त्व
1. धन की देवी लक्ष्मी का पूजन: माना जाता है कि धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं, इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी के स्वागत के लिए दीप जलाए जाते हैं और घरों को सजाया जाता है।
2. धनवंतरि जयंती: धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि का जन्म हुआ था, जिन्होंने आयुर्वेद का ज्ञान दिया। इसलिए इस दिन स्वास्थ्य और आरोग्य के लिए पूजा की जाती है।
3. नई चीजें खरीदना: इस दिन सोना, चांदी, बर्तन, या अन्य चीजें खरीदना शुभ माना जाता है, क्योंकि इससे घर में सुख, समृद्धि और धन की वृद्धि होती है।
4. धन और समृद्धि का आह्वान: इस दिन लोग घर के दरवाजे पर रंगोली बनाते हैं और दीप जलाते हैं ताकि सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली घर में आए।
धनतेरस से ही पांच दिवसीय दीपावली महोत्सव की शुरुआत होती है, जो भाई दूज तक चलता है।
धनतेरस की पूजा विधि क्या है??
धनतेरस की पूजा विधि विशेष रूप से सरल है और इसे धन, स्वास्थ्य, और समृद्धि की कामना के साथ किया जाता है। यहाँ धनतेरस की पूजा विधि के मुख्य चरण दिए गए हैं:
घर की सफाई और सजावट:
पूजा से पहले घर की अच्छी तरह सफाई करें और मुख्य दरवाजे पर रंगोली बनाएं। माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी घर में आती हैं, इसलिए घर को स्वच्छ और सुंदर बनाया जाता है। दीप जलाएं और घर को रोशनी से सजाएँ।
मूर्ति और प्रतीकों की स्थापना:
- पूजा स्थल पर भगवान धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी, और भगवान कुबेर की प्रतिमा या तस्वीर रखें।
- चांदी या मिट्टी की एक छोटी गिन्नी (सिक्का) या सोने का सिक्का भी रखें, जो धन का प्रतीक होता है।
सामग्री का आयोजन:
- पूजा के लिए हल्दी, कुमकुम, चावल, फूल, धूप, दीप, मिठाई, और नैवेद्य (भोग) तैयार रखें।
- नए बर्तन या सोने-चांदी की चीज़ें जो खरीदी गई हैं, उन्हें पूजा स्थल पर रखें, ताकि वे शुभ माने जाएं।
धनतेरस पूजा की विधि:
- भगवान गणेश: सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, क्योंकि वे विघ्नहर्ता हैं और किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत उनसे की जाती है।
- देवी लक्ष्मी और कुबेर की पूजा: फिर देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करें। उनके सामने घी या तेल का दीपक जलाएं और उन्हें चंदन, कुमकुम, फूल और चावल अर्पित करें।
- धन्वंतरि पूजन: भगवान धन्वंतरि की पूजा करें, जो स्वास्थ्य और आयुर्वेद के देवता माने जाते हैं। उनके लिए भी दीपक जलाएं और प्रसाद अर्पित करें।
नैवेद्य और प्रसाद:
- देवी लक्ष्मी और कुबेर को मिठाई, फल, और अन्य प्रसाद अर्पित करें।
- इस दिन विशेष रूप से खीर, पान, और बताशे का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
मंत्र और आरती:
- पूजा के दौरान “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” और “ॐ श्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” का जाप करें।
- अंत में देवी लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की आरती करें।
व्रत और दान:
- धनतेरस के दिन गरीबों को दान करने से पुण्य मिलता है। इस दिन दान में चांदी के सिक्के, मिठाई, अनाज, या वस्त्र देना शुभ माना जाता है।
इस प्रकार पूजा विधि से माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है, जिससे घर में धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का वास हो।
क्या है इस त्यौहार का इतिहास ?
धनतेरस का इतिहास और पौराणिक मान्यताएँ बहुत रोचक हैं, और यह त्योहार विभिन्न पौराणिक कथाओं और मान्यताओं से जुड़ा हुआ है:
1. भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य: सबसे प्रमुख मान्यता यह है कि समुद्र मंथन के दौरान, कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। धन्वंतरि देवताओं के वैद्य और आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं। उनके हाथों में अमृत का कलश था, जिससे सभी देवताओं को अमरत्व प्राप्त हुआ। इसीलिए, इस दिन को “धन्वंतरि त्रयोदशी” या “धनतेरस” कहा जाता है, और स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के लिए पूजा की जाती है।
2. राजा हेम का पुत्र और मृत्यु की कथा: एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक राजा के 16 वर्षीय पुत्र की कुंडली में कहा गया था कि उसकी शादी के चौथे दिन उसकी मृत्यु हो जाएगी। जब वह दिन आया, तो उसकी पत्नी ने उसे जगाए रखने के लिए ढेर सारे सोने-चांदी के गहने और बर्तन इकट्ठे कर कमरे के बाहर रख दिए और दीप जलाए। यमदूत जब उसे लेने आए, तो सोने-चांदी की चमक और दीपों के प्रकाश से उनकी आंखें चौंधिया गईं और वे उस पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाए। इस तरह उस युवक की मृत्यु टल गई, और यह परंपरा बन गई कि धनतेरस के दिन दीप जलाने और आभूषण खरीदने से अकाल मृत्यु नहीं आती।
3. धन और समृद्धि के प्रतीक: धनतेरस का संबंध धन और समृद्धि से भी है। इस दिन भगवान कुबेर, जो धन के देवता हैं, और देवी लक्ष्मी, जो समृद्धि की देवी हैं, की पूजा की जाती है। इससे घर में सुख, समृद्धि और धन की वृद्धि होती है।
4. समुद्र मंथन की कथा: इस दिन को समुद्र मंथन से भी जोड़ा जाता है, जिसमें अमृत के साथ-साथ अन्य बहुमूल्य रत्न और औषधियाँ भी प्राप्त हुईं। इसलिए, धनतेरस का दिन स्वास्थ्य और धन की कामना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
इन मान्यताओं के कारण ही धनतेरस को स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए विशेष रूप से मनाया जाता है, और यह त्योहार दीपावली के मुख्य पर्वों में से एक है।
Happy dhanteras 🌸🌺❤️💫✨️