योग करने के क्या फायदे है

(WHAT ARE BENEFITS OF YOGA)

योग और ध्यान में मुख्य अंतर उनके उद्देश्य और प्रक्रियाओं में है:

योग:

योग शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अनुशासन का एक समग्र अभ्यास है। इसमें शरीर को स्वस्थ और मन को शांत रखने के लिए शारीरिक आसन (postures), श्वास-प्रणायाम (breathing exercises), और ध्यान (meditation) शामिल होते हैं।

इसका उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन और एकता प्राप्त करना होता है।योग में विभिन्न प्रकार के अभ्यास होते हैं जैसे हठ योग, राज योग, कर्म योग, भक्ति योग आदि।

ध्यान:

ध्यान योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन यह अपने आप में एक स्वतंत्र मानसिक अभ्यास भी हो सकता है।

ध्यान का मुख्य उद्देश्य मन को एकाग्र करना और विचारों को नियंत्रित करना होता है।इसमें व्यक्ति मानसिक शांति और आत्म-चेतना की उच्च अवस्था प्राप्त करने के लिए अपने विचारों को शांत करता है और ध्यान केंद्रित करता है।ध्यान की विभिन्न विधियाँ हैं, जैसे विपश्यना, ध्यान पर केंद्रित ध्यान (concentration meditation), और mindfulness meditation।

संक्षेप में, योग एक व्यापक अभ्यास है जिसमें ध्यान भी शामिल हो सकता है, जबकि ध्यान विशेष रूप से मानसिक एकाग्रता और शांति के लिए किया जाता है।

योग क्यों करना चाहिए:

योग से लाभ:योग एक प्राचीन भारतीय विद्या है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संतुलित करने का एक साधन है। आजकल की व्यस्त जीवनशैली में, योग का अभ्यास शरीर और मन को शांति और स्फूर्ति प्रदान करता है।

यहां कुछ महत्वपूर्ण कारण दिए गए हैं कि क्यों योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए और इसके क्या लाभ हैं:

1. शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार मजबूत और लचीला शरीर: योग के नियमित अभ्यास से शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और लचीलापन बढ़ता है।

बीमारियों से बचाव: योग इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे सर्दी-जुकाम जैसी आम बीमारियों से बचाव होता है।

वजन नियंत्रण: योगा के आसन और प्रणायाम से मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है, जिससे वजन को नियंत्रित रखने में सहायता मिलती है।

2. मानसिक शांति देकर तनाव से मुक्त करता है: योग के अभ्यास से मानसिक तनाव और चिंता से राहत मिलती है। ध्यान और प्राणायाम के माध्यम से मन शांत होता है।

3.सकारात्मक दृष्टिकोण: योग से मनोवैज्ञानिक संतुलन बना रहता है, जिससे जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है ।

प्राणायाम:योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह श्वास लेने की प्रक्रिया को नियंत्रित कर शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है और श्वास संबंधी समस्याओं में सुधार करता है।

4. नींद में सुधार,गहरी और अच्छी नींद: योग का अभ्यास न केवल दिनभर की थकान को दूर करता है, बल्कि यह नींद की गुणवत्ता को भी सुधारता है। नियमित योग करने वाले लोगों में अनिद्रा की समस्या कम होती है।

5. हृदय और रक्तचाप के लिए लाभदायक ,हृदय स्वास्थ्य में सुधार: योग से रक्तचाप और हृदयगति में सुधार होता है, जिससे हृदय स्वस्थ रहता है और हृदय रोगों का खतरा कम होता है।

: कुछ प्रमुख योगासन एवं उसके लाभ :

1.सूर्य नमस्कार

सूर्य नमस्कर,एक पारंपरिक योग अभ्यास है, जिसमें 12 आसनों का एक क्रम होता है। यह पूरे शरीर के लिए उत्तम व्यायाम माना जाता है। इसे नियमित रूप से करने से शारीरिक और मानसिक लाभ होते हैं।

सूर्य नमस्कार करने की विधि:प्रणामासन (Prayer Pose): सीधे खड़े हों, पैरों को मिलाकर और हथेलियों को छाती के सामने जोड़कर प्रणाम की मुद्रा में आएं।

हस्त उत्तानासन (Raised Arms Pose): गहरी सांस लें और हाथों को ऊपर की ओर उठाएं, पीछे की ओर झुकते हुए।

पादहस्तासन (Hand to Foot Pose): सांस छोड़ें और आगे की ओर झुकें, अपने हाथों से पैरों को छूने की कोशिश करें।

अश्व संचालानासन (Equestrian Pose): एक पैर को पीछे ले जाएं, सामने वाले पैर को मोड़ें, और सिर को ऊपर उठाएं।

दंडासन (Stick Pose): दूसरे पैर को भी पीछे ले जाएं, शरीर को सीधा और संतुलित रखें।

अष्टांग नमस्कार (Salute with Eight Parts): घुटने, छाती और ठोड़ी को जमीन पर रखें, पेट उठाएं।

भुजंगासन (Cobra Pose): सांस लेते हुए शरीर के ऊपरी हिस्से को उठाएं, सिर ऊपर की ओर रखें।

अधो मुख शवासन (Downward Facing Dog Pose): सांस छोड़ते हुए शरीर को उल्टा ‘V’ आकार में रखें, एड़ी और सिर को नीचे की ओर दबाएं।

अश्व संचालानासन (Equestrian Pose): दाएँ पैर को आगे लाएँ और सिर को ऊपर उठाएँ।

पादहस्तासन (Hand to Foot Pose): दूसरे पैर को भी आगे लाएँ और हाथों से पैरों को छुएं।

हस्त उत्तानासन (Raised Arms Pose): हाथों को ऊपर उठाते हुए पीछे की ओर झुकें।प्रणामासन (Prayer Pose): सीधा खड़े होकर प्रणाम की मुद्रा में आएंl

सूर्य नमस्कार के लाभ:

शारीरिक शक्ति और लचीलापन: यह पूरे शरीर को मजबूत और लचीला बनाता है, खासकर रीढ़, पैर और कंधों को।

वजन घटाने में सहायक: नियमित रूप से करने पर कैलोरी बर्न होती है और वजन घटाने में मदद मिलती है।

रक्त परिसंचरण में सुधार: इससे रक्त प्रवाह बेहतर होता है और त्वचा को चमकदार बनाता है।

मानसिक शांति: यह तनाव को कम करने और मानसिक शांति प्रदान करने में सहायक है।

पाचन में सुधार: पाचन तंत्र को सक्रिय करता है और मेटाबोलिज्म को बेहतर करता है।

हार्मोन संतुलन: शरीर के हार्मोन को संतुलित करने में मदद करता है।

हृदय स्वास्थ्य: दिल को मजबूत करता है और हृदय संबंधी बीमारियों के खतरे को कम करता है।

सूर्य नमस्कार को सुबह खाली पेट करना अधिक फायदेमंद होता है। नियमित रूप से इसे करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता हैl

2.अनुलोम विलोम

अनुलोम विलोम करने की विधि:आरामदायक स्थिति में बैठें:सुखासन, पद्मासन या किसी अन्य आरामदायक स्थिति में बैठें, और अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी रखें।

बाएं नासिका को बंद करें: अपने दाएं हाथ के अंगूठे से अपनी दाएं नासिका को बंद करें।बाएं नासिका से श्वास लें: बाएं नासिका से धीरे-धीरे और गहराई से श्वास लें। इसे पूरक कहते हैं।

दाएं नासिका से श्वास छोड़ें: जब श्वास भर लें, अपनी दाएं नासिका खोलें और बाएं नासिका को बंद कर लें। फिर धीरे-धीरे दाएं नासिका से श्वास छोड़ें। इसे रेचक कहते हैं।

दोहराएं: अब दाएं नासिका से श्वास लें और बाएं से छोड़ें। यह एक चक्र पूरा होता है।

समय: आप शुरुआत में 5-10 मिनट तक इसका अभ्यास कर सकते हैं और धीरे-धीरे समय बढ़ा सकते हैं।

अनुलोम विलोम के फायदे:

मानसिक शांति और तनाव में कमी: अनुलोम विलोम से मानसिक शांति मिलती है और यह तनाव और चिंता को कम करता है।

फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है: यह प्राणायाम फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है, जिससे ऑक्सीजन की अधिक मात्रा शरीर में पहुंचती है।

रक्त परिसंचरण में सुधार: यह रक्त संचार को बेहतर करता है, जिससे हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है।

मस्तिष्क के लिए फायदेमंद: अनुलोम विलोम मस्तिष्क के दोनों हिस्सों (दाएं और बाएं) को संतुलित करता है, जिससे ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है: नियमित रूप से अभ्यास करने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है, और बीमारियों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है।

मधुमेह और उच्च रक्तचाप में लाभकारी: यह प्राणायाम मधुमेह, उच्च रक्तचाप और अन्य हृदय रोगों के नियंत्रण में सहायक होता है।अनुलोम विलोम प्राचीन योग की एक प्रभावी विधि है, जिसे नियमित रूप से करने पर शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में लाभ मिलता है।

3.कपालभाति योग कैसे करें:

कपालभाति प्राणायाम योग की एक विशेष श्वास प्रक्रिया है जो श्वासों के माध्यम से शरीर की शुद्धि करती है। इसे निम्नलिखित चरणों में किया जा सकता है:

सहज मुद्रा में बैठें: पद्मासन या सुखासन में बैठकर रीढ़ की हड्डी सीधी रखें और आंखें बंद करें।गहरी सांस लें: सबसे पहले गहरी सांस लें, जिससे आपके फेफड़े पूरी तरह से ऑक्सीजन से भर जाएं।झटके से सांस बाहर निकालें: तेजी से पेट को अंदर की ओर खींचते हुए झटके से सांस बाहर छोड़ें।

ध्यान दें कि सांस अंदर लेने का कार्य स्वाभाविक रूप से होगा, पर आपको जोर से केवल सांस बाहर निकालने पर ध्यान केंद्रित करना है।इस प्रक्रिया को दोहराएं: शुरू में आप 30 से 50 बार कपालभाति कर सकते हैं, और धीरे-धीरे इसकी संख्या बढ़ा सकते हैं। शुरुआती लोग इसे 3 राउंड में 1-2 मिनट तक कर सकते हैं।शांत रहें: इस अभ्यास के बाद 1-2 मिनट तक सामान्य श्वास लें और ध्यान करें।

कपालभाति के लाभ:कपालभाति योग के कई लाभ होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:

मस्तिष्क की शुद्धि: कपाल का अर्थ है मस्तिष्क और भाति का मतलब है चमक। यह प्राणायाम मस्तिष्क की नसों को शुद्ध करके मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ाता है।

वजन घटाने में सहायक: पेट की चर्बी को कम करने में मदद करता है, क्योंकि यह पेट की मांसपेशियों को सक्रिय करता है।

पाचन तंत्र सुधारता है: यह आंतों और पाचन तंत्र की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और अपच, गैस, कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करता है।

फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है: यह फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है और सांस संबंधी बीमारियों को कम करने में मदद करता है।

तनाव और चिंता को कम करता है: मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में कपालभाति योग प्रभावी होता है।

रक्त संचार में सुधार: यह शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाता है और रक्त संचार को सुधारता है।

श्वसन तंत्र की बीमारियों से राहत: अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों को दूर करने में मददगार है।

सावधानियां:उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, या गर्भवती महिलाएं इस अभ्यास को करने से पहले चिकित्सक से परामर्श लें।

ये तीन प्रमुख आसन है जो प्रत्येक व्यक्ति को प्रातः जल्दी उठकर करने चाहिए ।धन्यवाद ।

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