बैंक और एनबीएफसी (nbfc) me अंतर

प्रिय पाठकों, आज मैं NBFC (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) और उनके बैंकों से अंतर के बारे में चर्चा कर रहा हूँ। यहाँ मैं पाठ्य सामग्री को एक संवाद के रूप में प्रस्तुत कर रहा हूँ, जहाँ एक छात्र शिक्षक से प्रश्न पूछता है और शिक्षक छात्र को उत्तर दे रहे है।

छात्र :गुरु जी मुझे आज NBFC और बैंकों के मध्य अंतर को सरल शब्दों में समझाइए।

शिक्षक :-NBFC (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) और बैंक के बीच मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं:

लाइसेंस: बैंक को RBI से लाइसेंस प्राप्त करना होता है, जबकि NBFC को केवल पंजीकरण कराना पड़ता है।

जमा (Deposits): बैंक लोगों से जमा (जैसे बचत खाता और चालू खाता) स्वीकार कर सकते हैं, जबकि NBFC सामान्यतः जमा नहीं ले सकते। केवल कुछ विशेष NBFC को जमा स्वीकारने की अनुमति होती है।

भुगतान सेवाएं: बैंक चेक, डेबिट कार्ड, RTGS, NEFT जैसी भुगतान सेवाएं प्रदान करते हैं, लेकिन NBFC ये सेवाएं नहीं दे सकते।

CRR/SLR अनुपालन: बैंकों को अपने कुछ धनराशि रिजर्व बैंक (CRR) में और कुछ SLR में रखना पड़ता है, जबकि NBFC पर यह नियम लागू नहीं होता।

बीमा (Insurance): बैंकों में जमा DICGC के तहत बीमित होते हैं, लेकिन NBFC में जमा बीमित नहीं होते।ये NBFC और बैंक के बीच मुख्य अंतर हैं।

छात्र :- बैंकों में जमा DICGC के तहत बीमित होते हैं, लेकिन NBFC में जमा बीमित नहीं होते।इसका क्या मतलब है थोड़ा विस्तार से बताइए गुरु जी ।

शिक्षक:-बिलकुल, इसका मतलब विस्तार से समझाता हूँ।बैंक में अगर आप पैसे जमा करते हैं, तो उन पैसों की एक निश्चित सीमा तक सुरक्षा (बीमा) होती है। यह बीमा DICGC (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) के तहत आता है, जो कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक सहायक संस्था है। अगर किसी कारण से बैंक दिवालिया हो जाता है या बंद हो जाता है, तो DICGC आपके जमा किए गए पैसे की 5 लाख रुपये तक की राशि का बीमा करता है। इसका मतलब है कि अगर आपने बैंक में 5 लाख रुपये या उससे कम जमा किया है, और बैंक किसी समस्या के कारण आपका पैसा वापस नहीं कर पाता, तो DICGC आपको यह पैसा वापस कर देगा।

NBFC में क्या होता है?

अब NBFC (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ) में अगर आप कोई निवेश करते हैं या उनसे कोई वित्तीय सेवा लेते हैं, तो वहाँ ऐसा कोई बीमा नहीं होता है। इसका मतलब यह है कि अगर किसी कारण से NBFC दिवालिया हो जाती है या उसकी वित्तीय स्थिति खराब हो जाती है, तो आपका पैसा सुरक्षित नहीं होता। आपको अपने पैसे का नुकसान भी हो सकता है, क्योंकि NBFC के द्वारा लिए गए जमाओं पर DICGC जैसी कोई सुरक्षा नहीं होती।इसलिए, बैंक में जमा पैसों की तुलना में NBFC में निवेश करने या उनसे लोन लेने में जोखिम थोड़ा अधिक होता है, क्योंकि आपके पैसों की गारंटी वहाँ नहीं होती।

छात्र:-लेकिन गुरु जी आपने तो बताया कि nbfc जमा नहीं लेते फिर हमारा पैसा कैसे असुरक्षित हुआ ?

गुरुजी :-अरे हाँ, आपने बहुत सही सवाल पूछा! मैंने आपको जो बताया, उसमें थोड़ा स्पष्टता की आवश्यकता है।

NBFC सीधे तौर पर बचत खाते या चालू खाते जैसी जमाएं नहीं लेते हैं, जैसे बैंक लेते हैं। वे इस तरह की जमा सेवाएं प्रदान नहीं करते। लेकिन कुछ NBFCs फिक्स्ड डिपॉज़िट (FD) जैसे निवेश विकल्प प्रदान कर सकते हैं, जो आमतौर पर बैंकों के फिक्स्ड डिपॉज़िट से अलग होते हैं। इन फिक्स्ड डिपॉज़िट में किया गया पैसा बैंकों की तरह DICGC के तहत बीमित नहीं होता।

तो असुरक्षा का मतलब यहाँ उस स्थिति से है जब:

अगर आपने NBFC में फिक्स्ड डिपॉज़िट किया है, और NBFC दिवालिया हो जाती है या कोई वित्तीय समस्या आती है, तो आपका जमा पैसा असुरक्षित होता है।

अन्य निवेश उत्पाद: अगर आपने NBFC के द्वारा दिए गए अन्य वित्तीय उत्पादों (जैसे बॉन्ड, डिबेंचर आदि) में पैसा लगाया है, तो वह भी बैंक की तरह बीमित नहीं होता है।इसलिए, जब मैं “असुरक्षित” कह रहा हूँ, तो मेरा मतलब उन जमाओं और निवेशों से है, जो NBFC के पास फिक्स्ड डिपॉज़िट या अन्य वित्तीय उत्पादों के रूप में किए जाते हैं। बैंक के फिक्स्ड डिपॉज़िट के विपरीत, NBFC द्वारा दिए गए उत्पादों में जोखिम अधिक होता है क्योंकि वे DICGC के तहत सुरक्षित नहीं होते।उम्मीद है अब बात साफ हो गई होगी।

छात्र:- गुरु जी nbfc न तो जमा लेते है और न ही डेबिट और क्रेडिट कार्ड या चेकबुक देते है तो उनके पास इतना पैसा कहा से आता है ??

गुरु जी :-NBFC अपने कामकाज के लिए पैसा जुटाने के कई स्रोतों का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें से मुख्य निम्नलिखित हैं:

बाजार से कर्ज: NBFC बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से कर्ज (loans) लेते हैं। फिर ये कर्ज वे ग्राहकों को उधार देने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा, वे बड़े निवेशकों या कंपनियों से भी कर्ज लेते हैं।

बॉन्ड और डिबेंचर: NBFC बॉन्ड या डिबेंचर जारी करते हैं, जिनका निवेशक खरीदते हैं। यह पैसा NBFC के पास लोन देने के लिए आता है। बॉन्ड या डिबेंचर निवेशकों से लिए गए कर्ज की तरह होते हैं, जिन्हें बाद में ब्याज सहित लौटाया जाता है।

इक्विटी और शेयर: कुछ बड़े NBFC अपने शेयर बाजार में लिस्ट कर सकते हैं, जिससे वे इक्विटी बेचकर धन जुटाते हैं। इसमें आम जनता और निवेशक शेयर खरीदते हैं, जिससे उन्हें फंड मिलता है।

अन्य निवेश: कुछ NBFC विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) या निजी निवेशकों से निवेश लेते हैं। इसके अलावा, वे म्यूचुअल फंड, लीजिंग, और फाइनेंसिंग जैसी सेवाओं के माध्यम से भी मुनाफा कमाते हैं।

इन स्रोतों के जरिए NBFC धन जुटाते हैं और फिर उसे लोन और अन्य वित्तीय सेवाओं के रूप में लोगों को प्रदान करते हैं।

छात्र :- गुरुजी अगर nbfc कर्ज लेकर कर्ज दे रही है तो बीच मे अपना कमीशन भी लेगी, बैंक के तुलना मे ज्यादा ब्याज लेगी फिर तो??

गुरु जी :-हाँ, NBFC कर्ज लेकर उसे ग्राहकों को उधार देते समय अपना मार्जिन (लाभ) ज़रूर जोड़ते हैं। इसी वजह से NBFC द्वारा दिए गए कर्ज की ब्याज दरें बैंकों की तुलना में थोड़ी अधिक हो सकती हैं। इसके बावजूद, कई स्थितियों में लोग NBFC से कर्ज लेना पसंद करते हैं, क्योंकि:

लचीली शर्तें: NBFC आमतौर पर कर्ज देने के लिए अधिक लचीले होते हैं। उनके नियम और शर्तें बैंकों की तुलना में सख्त नहीं होतीं, जिससे छोटे व्यवसाय, नए उद्यमी, या जिनकी क्रेडिट हिस्ट्री कमजोर होती है, उन्हें आसानी से कर्ज मिल जाता है।

त्वरित प्रक्रिया: NBFC आमतौर पर कर्ज देने की प्रक्रिया तेज़ रखते हैं। बैंकों में जहां कर्ज पाने में समय और कई दस्तावेजों की जरूरत होती है, वहीं NBFC कम कागजी कार्रवाई और तेज़ प्रक्रिया के कारण कर्ज जल्द प्रदान करते हैं।

क्रेडिट स्कोर पर निर्भरता कम: बैंक कर्ज देते समय क्रेडिट स्कोर को ज्यादा महत्व देते हैं, जबकि NBFC कम क्रेडिट स्कोर वालों को भी कर्ज देने के लिए तैयार रहते हैं।

विविध उत्पाद: NBFC कई ऐसे कर्ज उत्पाद प्रदान करते हैं, जो बैंकों से अलग होते हैं। जैसे लीजिंग, फाइनेंसिंग, और वाणिज्यिक वाहन लोन जैसी विशेष सेवाएं, जो खास ज़रूरतों को पूरा करती हैं।

इस तरह, भले ही NBFC कर्ज पर ब्याज दर ज्यादा लेते हैं, लेकिन उनकी लचीलापन, सरल प्रक्रिया और विभिन्न प्रकार के उत्पादों के कारण ग्राहक इन्हें चुनते हैं, खासकर तब जब बैंक से कर्ज लेना कठिन होता है।

छात्र :-कम ब्याज पर ऋण देने वाली अच्छी nbfc कौन कौन सी है??

गुरूजी :-कम ब्याज दर पर ऋण देने वाली कुछ अच्छी NBFCs हैं, जो विभिन्न प्रकार के लोन प्रदान करती हैं। हालांकि, ब्याज दरें कई कारकों पर निर्भर करती हैं, जैसे कि आपकी क्रेडिट हिस्ट्री, लोन की राशि, अवधि आदि। यहां कुछ प्रसिद्ध और भरोसेमंद NBFCs हैं जो कम ब्याज दर पर लोन प्रदान करती हैं:

1. बजाज फिनसेर्व

2.महिंद्रा फाइनेंस

3.टाटा कैपिटल

4.hdfc क्रेडिला

5.मुथुत फाइनेंस

छात्र :-धन्यवाद गुरु जी।

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