पंचतत्व में विलीन हुए एक सफल उद्यमी ,उदार व सहृदय इंसान ,समाज को हुई अपूर्णीय क्षति , सत सत नमन नमन।
प्रिय पाठकों,आइए जानते है आज एक महान व्यक्तित्व , मानवता प्रेमी ,एक ऐसे इंसान जिन्होंने नैतिकता और मानवता को अपने जीवन के साथ साथ ,व्यवसाय का भी आधार बनाया ।हम अपने जीवन में उनके द्वारा दिखाए गए मार्गो को अपनाए।ऐसे महान व्यक्तित्व को कुछ शब्दों में उतरना कठिन है लेकिन फिर भी प्रस्तुत है आपके समक्ष उनके जीवन एवं विचारो की एक झलक ।
“मैं सही फैसले लेने में विश्वास नहीं करता, मैं फैसले लेकर उन्हें सही बनाता हूँ।” रतन टाटा
रतन टाटा जी का प्रारंभिक जीवन चुनौतियों से भरा था, भले ही वे टाटा परिवार जैसे प्रतिष्ठित परिवार में पैदा हुए थे। उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था, लेकिन जब वे मात्र 10 साल के थे, तब उनके माता-पिता, नवल टाटा और सूनी टाटा, का तलाक हो गया। इसके बाद रतन टाटा और उनके छोटे भाई को उनकी दादी, लेडी नवाजबाई टाटा, ने पाला। इस पारिवारिक संकट ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से प्रभावित किया, लेकिन इससे उन्हें धैर्य और जीवन में कठिनाइयों का सामना करने की ताकत मिली।

रतन टाटा जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल से की और उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गए, जहाँ उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। विदेश में रहकर उन्होंने विभिन्न संस्कृतियों और कठिनाइयों का सामना किया, जिससे उनका आत्मविश्वास और दृढ़ता विकसित हुई।
टाटा समूह में शामिल होने के बाद भी उन्होंने शीर्ष स्तर से शुरुआत नहीं की। उन्होंने टाटा स्टील में काम करते हुए अपने करियर की शुरुआत की, जहाँ वे आम श्रमिकों के साथ काम करते थे। यह दर्शाता है कि भले ही वे एक बड़े औद्योगिक परिवार से थे, लेकिन वे हमेशा जमीन से जुड़े रहे और हर काम में मेहनत करना जरूरी समझते थे।

रतन टाटा जी के कई प्रेरणादायक और प्रसिद्ध संवाद हैं, जो उनकी सोच, नेतृत्व शैली और सादगी को दर्शाते हैं। यहाँ कुछ उनके प्रसिद्ध उद्धरण दिए गए हैं:
1. “मैं सही फैसले लेने में विश्वास नहीं करता, मैं फैसले लेकर उन्हें सही बनाता हूँ।“
यह संवाद उनके आत्मविश्वास और कठिनाइयों से लड़ने की क्षमता को दर्शाता है। रतन टाटा का मानना है कि कोई भी निर्णय लेने के बाद उसे सही साबित करना जरूरी है।
2. “जिंदगी में पीछे मुड़कर देखें तो जुड़ने वाले डॉट्स दिखते हैं।”
यह उनके जीवन और करियर में मिलने वाली कठिनाइयों और सफलता के अनुभवों का सार है, जिसमें वे मानते हैं कि कठिन समय भी किसी न किसी बड़े उद्देश्य की ओर ले जाता है।
3. “सफलता का पीछा मत करो, उत्कृष्टता का पीछा करो, और सफलता तुम्हारे पीछे आएगी।“
यह विचार “3 इडियट्स” फिल्म के प्रसिद्ध संवाद से मिलता-जुलता है, और इसका मतलब है कि यदि आप श्रेष्ठता की तलाश करेंगे, तो सफलता अपने आप आ जाएगी।
4.”अगर आप जल्दी चलना चाहते हैं, तो अकेले चलें। लेकिन अगर आप दूर तक चलना चाहते हैं, तो एक साथ चलें।“
यह संवाद टीमवर्क और सहयोग के महत्व को रेखांकित करता है, खासकर लंबी अवधि के लक्ष्यों को प्राप्त करने में।
5.”व्यवसायों को अपने हितों से परे जाना चाहिए और उन समुदायों की भलाई के लिए काम करना चाहिए जिनकी वे सेवा करते हैं।”
रतन टाटा कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के पक्षधर हैं और मानते हैं कि व्यवसायों को समाज में सकारात्मक योगदान देना चाहिए
6.”मैं भी एक युवा व्यक्ति रह चुका हूँ और मैंने गलतियाँ की हैं। मैंने उन गलतियों से सीखा है, लेकिन मैं कभी भी उनका पछतावा नहीं करता।”
यह उद्धरण उनके अनुभवों से सीखने और व्यक्तिगत विकास के महत्व को दर्शाता है।
7.हम महिलाओं के लिए किसी भी चीज़ की सीमाएँ नहीं हैं।”
रतन टाटा महिलाओं के सशक्तिकरण और लैंगिक समानता के मजबूत समर्थक हैं थे ।
ये उद्धरण रतन टाटा की न केवल व्यावसायिक दृष्टिकोण बल्कि समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी और मानवता के प्रति उनकी संवेदनशीलता को भी उजागर करते हैं। उनके विचार आज भी कई लोगों को प्रेरित करते हैं
रतन टाटा जी की जिंदगी से जुड़ी और भी कई दिलचस्प कहानियां हैं, जो उनकी दूरदृष्टि, उदारता और साधारण स्वभाव को दर्शाती हैं। यहाँ कुछ और प्रसिद्ध किस्से हैं:
1. कर्मचारियों की देखभाल :रतन टाटा जी कर्मचारियों के प्रति उनकी जिम्मेदारी को बहुत गंभीरता से लेते हैं। एक प्रसिद्ध कहानी है कि जब टाटा मोटर्स के कर्मचारियों में से एक की पत्नी को कैंसर हुआ, तो उस कर्मचारी ने कंपनी से मदद की उम्मीद की। रतन टाटा ने व्यक्तिगत रूप से इस मामले में हस्तक्षेप किया और महिला के इलाज के सभी खर्चों को उठाया। यह घटना उनकी मानवीय संवेदनशीलता और कर्मचारियों के प्रति उनके समर्पण को दर्शाती है ।
2. टेटली टी का अधिग्रहण :रतन टाटा की अगुवाई में 2000 में टाटा ग्रुप ने ब्रिटेन की सबसे बड़ी चाय कंपनी टेटली टी का अधिग्रहण किया। इस सौदे ने टाटा ग्रुप को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खड़ा कर दिया। खास बात यह थी कि उस समय भारत की कोई भी कंपनी इतनी बड़ी विदेशी कंपनी को खरीदने की स्थिति में नहीं थी। यह भारत के कॉर्पोरेट इतिहास के सबसे बड़े अधिग्रहणों में से एक था, जिसने साबित किया कि भारतीय कंपनियाँ भी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं
3.2010 में, रतन टाटा ने किंग्स कॉलेज लंदन को £50 मिलियन (लगभग 450 करोड़ रुपये) का दान दिया, जो भारतीय उद्योगपति द्वारा किसी विदेशी शैक्षिक संस्थान को दिया गया सबसे बड़ा दान था। यह धनराशि मुख्य रूप से इंजीनियरिंग और चिकित्सा विज्ञान के अनुसंधान के लिए उपयोग की जाती है। यह टाटा की शिक्षा और विज्ञान के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है
4. नैनो कार का सपना :रतन टाटा का सपना था कि वे एक ऐसी कार बनाएँ जो हर भारतीय परिवार की पहुंच में हो। इसका परिणाम था टाटा नैनो, जिसे दुनिया की सबसे सस्ती कार के रूप में पेश किया गया। हालांकि यह परियोजना बाजार में उतनी सफल नहीं रही, लेकिन रतन टाटा के लिए यह एक जुनून था, जिससे वे सस्ते और सुरक्षित परिवहन की चाहत रखने वाले आम भारतीयों की मदद करना चाहते थे। इसके पीछे का कारण यह था कि एक बार उन्होंने एक पूरे परिवार को एक मोटरसाइकिल पर देखा, जिससे उन्हें लगा कि एक सस्ती कार की जरूरत है
5.Ford के साथ डील1999 में, टाटा मोटर्स ने पहली बार कार निर्माण के क्षेत्र में प्रवेश किया, लेकिन उनका सफर आसान नहीं था। जब उन्होंने टाटा इंडिका को बाजार में उतारा, तो वह विफल रही। इस समय, टाटा मोटर्स को भारी नुकसान हो रहा था, और रतन टाटा इसे बेचने के लिए मजबूर हो गए। वह डील करने के लिए फोर्ड के पास गए, लेकिन वहां अपमानजनक व्यवहार का सामना करना पड़ा। फोर्ड के अधिकारियों ने कहा, “आपको कार व्यवसाय में नहीं होना चाहिए, आपने हमें यह करके एक बड़ा एहसान किया।”लेकिन वक्त ने करवट ली, और 2008 में जब फोर्ड की स्थिति खराब हुई, तो रतन टाटा ने फोर्ड की जगुआर और लैंड रोवर ब्रांड्स को खरीद लिया, जिससे फोर्ड की आर्थिक स्थिति सुधरी। इस बार, फोर्ड के अधिकारियों ने रतन टाटा की तारीफ की और उनका धन्यवाद किया
रतन टाटा जी की ये कहानियां न केवल उनके व्यावसायिक दृष्टिकोण की गहराई को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि वे लोगों की मदद करने में कितना यकीन रखते हैं।
रतन टाटा जी ने कई क्षेत्रों में दान किया है, लेकिन सबसे बड़ा योगदान स्वास्थ्य, शिक्षा, और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में किया है।अनुमान लगाया जाता है कि टाटा ट्रस्ट्स ने विभिन्न परोपकारी प्रयासों के लिए अब तक ₹8,00,000 करोड़ (लगभग $100 बिलियन) से अधिक का योगदान दिया है
1. स्वास्थ्य: रतन टाटा और टाटा ट्रस्ट्स का सबसे बड़ा योगदान स्वास्थ्य के क्षेत्र में रहा है। विशेष रूप से कैंसर के उपचार और चिकित्सा अनुसंधान के लिए उन्होंने अरबों रुपये का दान किया है। उदाहरण के लिए, टाटा मेमोरियल अस्पताल और देशभर में कैंसर के उन्नत उपचार केंद्र स्थापित करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। COVID-19 महामारी के दौरान भी उन्होंने भारत के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के लिए भारी दान दिया था
2. शिक्षा :शिक्षा के क्षेत्र में भी रतन टाटा का योगदान बहुत बड़ा है। टाटा स्कॉलरशिप जैसी पहल के माध्यम से हजारों छात्रों को विज्ञान और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए समर्थन मिला है। उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय और कॉर्नेल विश्वविद्यालय जैसी वैश्विक संस्थाओं को भी अनुसंधान और विकास के लिए दान दिया है
3. ग्रामीण विकास और आजीविका :ग्रामीण विकास में टाटा ट्रस्ट्स ने जल प्रबंधन, कृषि उत्पादकता, और स्थायी आजीविका के लिए भी बड़े पैमाने पर योगदान दिया है। इससे भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में मदद मिली है
हालांकि रतन टाटा ने कई क्षेत्रों में दान किया है, स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनका योगदान सबसे बड़ा और प्रभावशाली रहा है।
रतन टाटा जी का पारिवारिक इतिहास
रतन टाटा का परिवार भारत के सबसे प्रतिष्ठित परिवारों में से एक है, जो उद्योग और समाज सेवा में अपनी गहरी जड़ें रखता है। उनका पारिवारिक वृक्ष इस प्रकार है:
1. जमशेदजी टाटा (1839-1904)टाटा समूह के संस्थापक और “भारतीय उद्योग के पिता” के रूप में जाने जाते हैं।उनके दो बेटे थे: दोराबजी टाटा और रतनजी टाटा।
2. रतनजी टाटा (1871-1918)जमशेदजी टाटा के छोटे बेटे थे।उन्होंने फ्रांसीसी महिला स्यूजैन ब्रीयर से शादी की, जो पहली भारतीय महिला मानी जाती हैं जिन्होंने कार चलाई।उनके बेटे थे नवल टाटा, जिन्हें गोद लिया गया था ।
3. नवल टाटा (1904-1989)नवल टाटा को रतनजी टाटा और स्यूजैन ब्रीयर ने गोद लिया था।नवल टाटा की दो शादियाँ हुईं: पहली पत्नी सूनी कमीसारियट, जिनसे दो बेटे हुए: रतन टाटा और जिमी टाटा।दूसरी पत्नी सिमोन टाटा, जिनसे नोएल टाटा नाम का बेटा हुआ।
रतन टाटा का कोई व्यक्तिगत उत्तराधिकारी नहीं है, लेकिन टाटा परिवार की विरासत और उनके द्वारा स्थापित टाटा समूह के माध्यम से उनकी छाप समाज और उद्योग जगत पर अमिट है।
रतन टाटा जी का जीवन न केवल एक सफल व्यवसायी का है, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति का है जिसने अपनी सफलता से समाज को बेहतर बनाने में योगदान दिया। उनकी उदारता, दूरदर्शिता, और नैतिकता ने उन्हें एक असाधारण व्यक्ति और प्रेरणा का स्रोत बना दिया है।
धन्यवाद ,जानकारी पसंद आई हो तो कृपया अन्य लोगो तक पहुंचाए ।
Good person